Tuesday 16 May 2023

नई शिक्षा नीति, 2020 - में घोषित प्रमुख प्रावधानों, महत्त्वपूर्ण तथ्यों, परिप्रेक्ष्य, मुद्दों, चुनौतियों और सुझावों के बारे में

नई शिक्षा नीति, 2020 - में घोषित की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख प्रावधानों, महत्त्वपूर्ण तथ्यों, परिप्रेक्ष्य, मुद्दों, चुनौतियों और सुझावों के बारे में शिक्षा पारदर्शी होने के कई महत्वपूर्ण कारण हैं। शिक्षा और शिक्षक पारदर्शी होने से छात्रों और उनके अभिभावकों में विश्वासयोग्यता विकसित होती है। जब शिक्षक और शिक्षा प्रक्रिया पारदर्शी होती है, तो छात्र और उनके परिवारों को यह विश्वास होता है कि उन्हें सही और उचित ज्ञान और निर्देशन मिल रहा है। पारदर्शी शिक्षा प्रक्रिया में, छात्रों का रुझान विकसित होता है। यहां छात्रों को स्वतंत्रता और समर्पण के साथ अपने गलतियों और कमजोरियों का सामना करने का मौका मिलता है, जिससे वे अपने बेहतर स्वरूप का विकास कर सकते हैं। शिक्षक पारदर्शी होने पर उच्चतम मानकों की स्थापना होती है। छात्रों को न्याय, ईमानदारी, सम्मान, सहयोग, और सामाजिक न्याय के महत्व को समझाने का मौका मिलता है। शिक्षा में पूरी तरह से एकरूपता को साधारित करना एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है और इसके लिए एक संगठनिक, सामाजिक और व्यक्तिगत स्तर पर अनेक संघर्षों की जरूरत होती है। शिक्षा में एकरूपता प्राप्त करने के लिए शिक्षाविद और संगठन जिम्मेदार हैं। हम सभी को शिक्षा में एकरूपता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। नीति निर्धारकों को , शिक्षा नीतियों का निर्धारण करके, संस्थानों के मानकों का आकलन करके, संचालन मानकों का निर्धारण करके और एकरूपता के मानकों के लागू होने की जांच करके एकरूपता को सुनिश्चित कर सकती हैं।शिक्षा बोर्ड भी एकरूपता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे पाठ्यक्रमों, पाठ्यपुस्तकों, और मानकों को संचालित करके, निरंतर मानकों का मूल्यांकन करके, और एकरूपता को सुनिश्चित करने के लिए संगठित और समन्वित कार्रवाई कर सकते हैं। एक सर्वोत्तम शिक्षा माडल का उद्देश्य, प्रकार, स्तर और प्रणाली समय, स्थान और समाज के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। कुछ सामान्य सिद्धांत हैं, जिनका पालन करने से शिक्षा की गुणवत्ता और प्रभाव में सुधार हो सकता है। जैसे कि 1- शिक्षा को प्रासंगिक, रोचक और प्रेरणादायक बनाना चाहिए, ताकि विद्यार्थी अपनी पसंद, प्रतिभा और मनोरंजन के अनुसार सीख सकें। 2- शिक्षा को समग्र, समन्वित और समृद्ध करना चाहिए, ताकि विद्यार्थी को मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, मौलिक, कलात्मक, मूल्य-परक, प्रौद्योगिकी-परक और पेशेवर-परक शिक्षा मिल सके। 3- शिक्षा को प्रति-सहस्र (per thousand) को पहुंचने के लिए सहज, सुलभ, समीप (easy to access) समतुल्य (equitable) समन्वय (coordinated) सह-सहकार (cooperative) सह-प्रेरणा (motivational) सह-प्रतिभा (talent-based) सह-प्रतिबद्ध (committed) सह-प्रति-प्रति (feedback-based) ही होना चाहिए ।

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